- अमित तिवारी, मीरा-भाईंदर: बीते वर्ष 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा से बागी निर्दलीय विधायक गीता जैन ने भले ही मीरा-भाईंदर में एतिहासिक जीत दर्ज कर भाजपा में पुनर्वापसी की हो, लेकिन कुछ ही महीनों में गीता जैन को अपने फैसले को बदलना पड़ रहा है।
आखिर क्यों गीता जैन हुईं नाराज?
जैन हुईं नाराज? निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद जैन ने बिना शर्त भाजपा को अपना समर्थन दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनसे वादा किया था कि मीरा-भाईंदर में भाजपा की कमान उनके हाथ में दी जाएगी, लेकिन पार्टी जिलाध्यक्ष के आगामी चुनाव, स्थायी समिति सदस्य चुनाव, मनोनीत नगरसेवक और महापौर चुनाव में गीता जैन महापौर चुनाव में गीता की एक नहीं चली और की एक नहीं चली और उनके प्रतिद्वंदी पूर्व उनके प्रतिद्वंदी पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता बाजी मारते नजर आ रहे हैं।
भाजपा को कहा राम-राम! एनबीटी से बातचीत में गीता जैन ने कहा कि उन्होंने चुनाव भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडा था, इसलिए चुनावों के बाद भी इस मुद्दे पर समझौता नहीं करेंगी। जैन ने कहा कि उन्होंने पार्टी को नहीं छोडा है, बल्कि पार्टी ने उन्हें छोडा है। इसलिए अब उनके पास भाजपा को छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जैन ने कहा कि वे नाराज जरूर हैं, लेकिन निराश नहीं।
शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस की नजर विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि मीरा-भाईंदर में रसातल में जा चुकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गीता जैन को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। शिवसेना भी गीता जैन को अपने पक्ष में कर जैन समुदाय को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है।
क्या होगी आगे की रणनीति जैन ने कहा कि आगे वो निर्दलीय विधायक के तौर पर ही काम करेंगी। वे कहती हैं कि वे न तो किसी राजनीतिक दल में प्रवेश करेंगी और न कि किसी प्रकार की स्थानीय स्तर पर गठबंधन का निर्माण करेंगी।